White कुण्डलिया :-
आशा करना व्यर्थ है , इस जग में इंसान ।
करते अपने घात है , मिलते अवसर जान ।।
मिलते अवसर जान , नही देखे मजबूरी ।
करे नहीं परवाह , बने रिश्तों में दूरी ।।
मान प्रखर की बात , न आये हाथ निराशा ।
करना है बेकार , सुनो जीवन में आशा ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :-
आशा करना व्यर्थ है , इस जग में इंसान ।
करते अपने घात है , मिलते अवसर जान ।।
मिलते अवसर जान , नही देखे मजबूरी ।
करे नहीं परवाह , बने रिश्तों में दूरी ।।
मान प्रखर की बात , न आये हाथ निराशा ।
करना है बेकार , सुनो जीवन में आशा ।।