White अब तो गांव भी बदलने लगे है ,
और शहर जैसे लगने लगे है ।
वो कच्चे मिट्टी के घर अब गिरने लगे है ,
अब तो सीमेंट ईट के मकान बनने लगे है ।
दूर- दूर तक फैले होते थे घर के आंगन,
भाई-भाई के झगड़े में वो भी अब सिमटने लगे है।
घर के बाहर होते थे नीम और फलदार पेड़ अब वो भी कटने लगे है,
अब तो गमले में तरह-तरह के पेड़ और फूल खिलने लगे है ।
हुआ करते थे गांव में कुएं और वहां लोगों का जमघट,
अब तो वो कुएं भी सूखने लगे है,हर घर बोरवेल होने लगे है ।
खेतों को जोतते थे वो बैल अब वो भी बिकने लगे है ,
अब तो खेतों में चलते ट्रैक्टर दिखने लगे है ।
अब तो गांव भी बदलने लगे है ,
अब तो बेटे भी मां-बाप से दूर रहने लगे है ।
©Lalit Musiya
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