White खुद पर फ़िदा
मेरी नज़र से कभी खुद को देखो,
तुम खुद पर फ़िदा हो जाओगे।
धूल जम गई है हजारों सपनों पर,
उन सपनों को बुनने लग जाओगे।
सुन लिजिए ध्यान मग्न मुनियों से,
निर्मल नीर नदी के कल-कल को।
खिल उठोगे अबोध बालिका से,
एक पल निहारे खिलते फूलों को।
उलझी पड़ी है जिंदगी खंडहरों में,
बिंदास मुक्त हो जायेगी तनाव से।
तितली के सुनहरे पंख सी जिंदगी,
इसे गुनगुना ने दो भ्रमर के गुंजन से।
पहाड़ों की तलहटी में नदी से,
सीख ले पत्थरों से लड़ना।
डूबने का डर छोड़कर जान ले,
पानी के वक्ष पर नाव से चलना।
डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा,जयपुर, राजस्थान।
©Dr. Bhagwan Sahay Meena
#Sad_shayri खुद पर फ़िदा