Black 122 122 122 122
जियां - ऐ - मुहब्बत में तन्हा रहा हूँ
ठहर जा जरा ज़िन्दगी थक गया हूँ
गमो से उबर जाने दे पहले मुझ को
वफ़ा - ऐ- मुहब्बत से मैं गम ज़दा हूँ
लबो की हसी को हकीकत न समझो
छुपा अश्क पलकों पे अपने रखा हूँ
उत्तर जाने दे अश्क आँखों से मेरी
उन्ही मंजिलों को में पाने रुका हूँ
हमारी शरायत सखत थी न पहले
किसी अपने ही बेवफा से जला हूँ
हसी माँगू या तेरे आँसू , खुशी के
लिखा क्या मुकद्दर में ये देखता हूँ
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
10/3/2017
©laxman dawani
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