"White मन परेशां है कुछ पाने की खातिर,
क्या खो दिया हमने सोचने का वक्त कहां है।
जब गर्म रास्तों पर जलते पांव पर छाले देखे,
तो ढूंढा वो छांव वाला दरख़्त कहां है।
खामोश है सागर भी इक तिश्नगी के साथ,
नमक की लहर में पानी कमबख्त कहां है।
अब दिल की अमीरी का गुरुर है मुझको,
अब वो रियासतें, वो ताज, वो तख्त कहां है।
जाने कितने अश्क बहे इक हंसी की खातिर,
उदासी बख्शने को फिर गम, वक्त,बेवक्त यहां है।
©Andy Mann
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