मुसाफ़िर का हर कदम तो मंजिल की तरफ बड़ रहा है मंजिल | हिंदी कविता

"मुसाफ़िर का हर कदम तो मंजिल की तरफ बड़ रहा है मंजिल मिलेगी या नहीं ये तो राहें तय करेंगी कौन जाएगा नर्क कौन जायेगा स्वर्ग ये तो जिंदगी की चाल तय करेंगी ©Arora PR"

 मुसाफ़िर का हर कदम तो
मंजिल की तरफ बड़ रहा है
मंजिल मिलेगी या नहीं
ये  तो  राहें  तय करेंगी

कौन जाएगा नर्क कौन जायेगा स्वर्ग
ये तो जिंदगी की चाल तय करेंगी

©Arora PR

मुसाफ़िर का हर कदम तो मंजिल की तरफ बड़ रहा है मंजिल मिलेगी या नहीं ये तो राहें तय करेंगी कौन जाएगा नर्क कौन जायेगा स्वर्ग ये तो जिंदगी की चाल तय करेंगी ©Arora PR

कौन तय करेगा

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