याद करना तो अपने अख्तियार में है। और तुझ से मिलना | हिंदी कविता

"याद करना तो अपने अख्तियार में है। और तुझ से मिलना तो भगवान की मेहरबनि। मिलना तो चाहता हूं तुझसे पर मुझे तोड़ देता है तुझ से मिल के विचड़ने का ग़म।"

 याद करना तो अपने अख्तियार में है।
और तुझ से मिलना तो  भगवान की मेहरबनि।
मिलना तो चाहता हूं तुझसे
पर मुझे तोड़ देता है तुझ से मिल के विचड़ने का ग़म।

याद करना तो अपने अख्तियार में है। और तुझ से मिलना तो भगवान की मेहरबनि। मिलना तो चाहता हूं तुझसे पर मुझे तोड़ देता है तुझ से मिल के विचड़ने का ग़म।

गम @Leelawati Sharma

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