हिंदी के काव्यिक मंचो से कवि गायब हो गये है,,केवल | English Video

हिंदी के काव्यिक मंचो से कवि गायब हो गये है,,केवल नफरत फैलाने वाले ,शैतानो की भाषा बोलने वाले जोकर रुपी कवियो ने मानवता का नाश कर दिया है,,,,आये दिन नफरत रुपी कविताओ का यशोगान कर "आंतरिक आंतकवाद को पनपा रहे है तथा बाह़्य आंतकवाद को बढावा दे रहे है,,,,,,कहाँ गई वो कवि काली दास सी लेखनी,कहाँ गई को महर्षि "वाल्मीकी " सी परम्परा,जो सच कहने का साहस कर,सबको सच सम्मान देती,,,,,,,,,,

आज कलयुग के कवि केवल जोकर बन कर रह गये या नफरत की मशाल,,,,

कवि किसी राष्ट्र , राज्य विशेष के लिये नही होता वह तो सम्पुर्ण मानव जाति के लिये होता है,,,,,

कवि सरहदो मे नही बल्कि सम्पुर्ण जगत का मुसाफिर होता है

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