फ़िराक़-ए-यार मेरे क़ल्ब में कुछ इस तरह घर कर गया । | हिंदी शायरी

"फ़िराक़-ए-यार मेरे क़ल्ब में कुछ इस तरह घर कर गया । मैं ज़िंदा होते हुए भी शमशान मर कर गया ।। ©Talwar Ji"

 फ़िराक़-ए-यार मेरे क़ल्ब में कुछ इस तरह
 घर कर गया ।
मैं ज़िंदा होते हुए भी शमशान
 मर कर गया ।।

©Talwar Ji

फ़िराक़-ए-यार मेरे क़ल्ब में कुछ इस तरह घर कर गया । मैं ज़िंदा होते हुए भी शमशान मर कर गया ।। ©Talwar Ji

#talwar #Shayar

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