प्यास लगी थी गज़ब की ...मगर पानी में ज़हर था...पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते ।
बस यही दो मसले जिंदगी भर हल ना हुए ...ना नींद पूरी हुई , ना ख्वाब मुकम्मल हुए ।
वक्त ने कहा...काश थोड़ा और सब्र होता...सब्र ने कहा ...काश थोड़ा और वक्त होता ।
शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ जिंदगी, पर खामोश रहता हूं...जो तूने दिया वो बहुतों को नसीब नही होता ।
ऐ वक्त तू आज जज्बातों के खिलाफ है, आखिर कब तक रहेगा ??
आखिर तू भी तो वक्त ही है, हमेशा एक जैसा नही रहेगा ।
अदाएं तेरी शायराना है और स्वभाव तेरा ' चंचल '
तू कब बदल जायेगा , तुझे भी न पता,
तू वक्त है, वक्त ....बेवक्त ही सही ।।
©Chanchal Kumar Singh
#not drinkable water