दो पुरुषों की प्रेम की कभी चर्चा नहीं सुनी
............युग युग से चलती आई जो प्रथा
पर इनकी कभी कथा नहीं सुनी ...........
सबको पसंद है अक्स सागर में
नूर चांद का
पर इनकी पवित्र प्रेम की
कभी गाथा नहीं सुनी
सागर मंथन में जब चौदा रत्न थे पाये
...........चांद भी आया उन में
पर यह बात किसने ...........
नहीं छेड़ी
पिता पुत्र हो गई जुड़ा
पर इनकी पीर नही समझी
जब चांद होता है पूरा गगन में
..........सागर भी लहराता है
फिर झूम झूम नए बादल .......
नया सावन बरसता है
कितना सुंदर प्रेम है इनका
पर ये बात , कोई नहीं समझा है
दो पुरुषों की प्रेम की कभी चर्चा नहीं सुनी
©वंदना ....
#hunarbaaz
🙏🙏🙏
मराठी गानों से प्रेरित
#अपनी कलम से ...🤗🤗🙏🙏