दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।
देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।
करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।
आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख ।।
शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख ।
नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल ।
झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।।
देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत ।
कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।।
करते बातें लोग है , आज सुदामा देख ।