White शीर्षक - सिर्फ तुम  ************ सिर्फ तुम | हिंदी कविता Vi

"White शीर्षक - सिर्फ तुम  ************ सिर्फ तुम ही आंखों में बसी  हों। जिंदगी और जीवन में  सिर्फ तुम हो। मन भावों में रिश्ते नाते सच हो। सिर्फ तुम ही मेरी चाहत बनी हो। स्वार्थ फरेब तम हम से  रखते हो। हां सच हमारी सोच में सिर्फ तुम हो। तेरे संग इश्क मोहब्बत और प्रेम हो। बस यही हमारी एक दूसरे की राह हो। एहसास और एतबार भी सिर्फ तुम हो। पहली और आखिरी ख्वाहिश सिर्फ तुम हो। न धन न दौलत अगर मन निस्वार्थ भाव हो रंगमंच पर किरदार की एक प्यारी सोच हो। सिर्फ तुम ही मेरे दिल की धड़कन बनी हो। वादा और इरादा मन के साथ सिर्फ तुम हो। ***************************** नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र ©Neeraj Agarwal "

White शीर्षक - सिर्फ तुम  ************ सिर्फ तुम ही आंखों में बसी  हों। जिंदगी और जीवन में  सिर्फ तुम हो। मन भावों में रिश्ते नाते सच हो। सिर्फ तुम ही मेरी चाहत बनी हो। स्वार्थ फरेब तम हम से  रखते हो। हां सच हमारी सोच में सिर्फ तुम हो। तेरे संग इश्क मोहब्बत और प्रेम हो। बस यही हमारी एक दूसरे की राह हो। एहसास और एतबार भी सिर्फ तुम हो। पहली और आखिरी ख्वाहिश सिर्फ तुम हो। न धन न दौलत अगर मन निस्वार्थ भाव हो रंगमंच पर किरदार की एक प्यारी सोच हो। सिर्फ तुम ही मेरे दिल की धड़कन बनी हो। वादा और इरादा मन के साथ सिर्फ तुम हो। ***************************** नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र ©Neeraj Agarwal

#Sirftum9

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