हर कोई फिर रहा है शिकारी की तरह परिंदे, जानवर और | हिंदी शायरी Video

"हर कोई फिर रहा है शिकारी की तरह परिंदे, जानवर और अब इंसान भी। फिर फर्क रह ही कहाँ गया कमलेश, व्हशीपन से मिट रही हैं पहचान भी ©Kamlesh Kandpal "

हर कोई फिर रहा है शिकारी की तरह परिंदे, जानवर और अब इंसान भी। फिर फर्क रह ही कहाँ गया कमलेश, व्हशीपन से मिट रही हैं पहचान भी ©Kamlesh Kandpal

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