hanuman jayanti 2024 ।।।।।।। घर घर श्री राम।।।।।।। | English Poetry Vi

"hanuman jayanti 2024 ।।।।।।। घर घर श्री राम।।।।।।। भजन -गीत :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: हे तात/नाथ प्रभू श्री रामा।। रघुनंदन,करू वन्दन, अभिनंदन,तुम्हरौ प्रणमा।। हे नाथ................२ अपनी रीत का मीत बनालो , तुम्हरी सरना रहना हैं। सेवक बन संघ रही शरण में ,आपकी सेवा करना हैं।। भजूं भजन गान करू कीर्तन भी रमें रहूं सुबह शमा। हे नाथ...........२ त्याग तपोबल सीखे मानवबल ,भाव प्रीति पिता माता से। निश्छल न्याय दया विधानम , हुआ बोध तेनु भ्राता से।। सिया स्वयंवर लक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते रहूं धामा हे नाथ..........२ श्री पति रघुवर अजानबाहु , बहुत ही सुमिराऊ नाम तिहारो। हनुमत वीरा जपहि जो डर ,भय मुक्त भई सब काम सम्हारौ।। करू कृपा मोहि कृपा निधान जपूं हरि रोज नामा। हे नाथ.........२ विश्व पटल पर हों प्रतिबिंबित, सारा श्रृष्टि के आप चालक। तन मन कण कण में हो व्याप्त , गाए सद्गुण सब सेवक।। स्वाभिमानी पुरुषोंतम प्रतापी लवकुश लाल बखाना। हे नाथ............२ मित्रता का पाठ पढ़ा दो , हे राघव हे कमलनयन। सत्य-धर्म का ध्वजा सदा , अमर रहें जन- जन।। भक्त विधार्थी को देहूँ अशिषम करो जग कल्याणा,। हे नाथ...........२ @विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi "

hanuman jayanti 2024 ।।।।।।। घर घर श्री राम।।।।।।। भजन -गीत :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: हे तात/नाथ प्रभू श्री रामा।। रघुनंदन,करू वन्दन, अभिनंदन,तुम्हरौ प्रणमा।। हे नाथ................२ अपनी रीत का मीत बनालो , तुम्हरी सरना रहना हैं। सेवक बन संघ रही शरण में ,आपकी सेवा करना हैं।। भजूं भजन गान करू कीर्तन भी रमें रहूं सुबह शमा। हे नाथ...........२ त्याग तपोबल सीखे मानवबल ,भाव प्रीति पिता माता से। निश्छल न्याय दया विधानम , हुआ बोध तेनु भ्राता से।। सिया स्वयंवर लक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते रहूं धामा हे नाथ..........२ श्री पति रघुवर अजानबाहु , बहुत ही सुमिराऊ नाम तिहारो। हनुमत वीरा जपहि जो डर ,भय मुक्त भई सब काम सम्हारौ।। करू कृपा मोहि कृपा निधान जपूं हरि रोज नामा। हे नाथ.........२ विश्व पटल पर हों प्रतिबिंबित, सारा श्रृष्टि के आप चालक। तन मन कण कण में हो व्याप्त , गाए सद्गुण सब सेवक।। स्वाभिमानी पुरुषोंतम प्रतापी लवकुश लाल बखाना। हे नाथ............२ मित्रता का पाठ पढ़ा दो , हे राघव हे कमलनयन। सत्य-धर्म का ध्वजा सदा , अमर रहें जन- जन।। भक्त विधार्थी को देहूँ अशिषम करो जग कल्याणा,। हे नाथ...........२ @विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi

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