दिल में बेचैनी बहुत आज,
किसे सुनाऊं दर्द अपना आज।
ना कोई अपना ना कोई पराया,
बिस्तर के चारो ओर सूनापन पाया।
आंखो के आसूं रूक ना पाए,
दर्द-ए-दिल हम सुना ना पाए।
उम्मीद टूटी ऐसी किसी से क्या उम्मीद रखूं,
ज़िंदगी भी रूठ रही आज सवेरे से क्या उम्मीद रखूं।
सच जिसे माना था झूठा वो साया निकला,
पल भर में छोड़ मुझे वादों को रौंदता निकला।
दिल के टुकड़े हज़ार हुए,
सपने सारे तार तार हुए।
विश्वास मेरा टूट गया,
वजूद मेरा खो गया।
किससे अब ये सारी बात करूं,
अपनी बेवकूफी पर खुद ही मैं हंसू।
आज तू जा रहा ये दिल की गली छोड़ कर,
कल तू पछताएगा जब मिलेंगे ना तुझे उस मोड़ पर!
©Shayari#Ayushi
#Barsaat