🌹 तरसे जो बरसों इक गुलाब की खातिर, कब्र पर गुल–दस् | हिंदी कविता

"🌹 तरसे जो बरसों इक गुलाब की खातिर, कब्र पर गुल–दस्ते हजार मिले, जीते जी एक यार मिला नहीं, सांसे थमी तो पूरे जहां में दिलदार मिले।😔😢 ©Ramesh Deora "

🌹 तरसे जो बरसों इक गुलाब की खातिर, कब्र पर गुल–दस्ते हजार मिले, जीते जी एक यार मिला नहीं, सांसे थमी तो पूरे जहां में दिलदार मिले।😔😢 ©Ramesh Deora

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