साथ छूटा जो अपनो का फिर
महफ़िल से हम बेगाने हुए ।।
इस कदर आहिस्ता आहिस्ता फिर
नशे में हम मयखाने हुए।।
मुड़ कर न हमने देखा कभी फिर
इस राह से हम अनजाने हुए ।।
वक्त की खान में तराशा गया फिर
चमक ऐसी उठी के सब दिवाने हुए ।।
©Alok sharma
#UskeHaath # sayari