ना आंखे रोती है ना जुबा लड़खराती है उम्र सब के पास | हिंदी कविता

"ना आंखे रोती है ना जुबा लड़खराती है उम्र सब के पास है जवानी अभी भी बाकी है फिर ये कैसा मंजर जो किया हम सबको जरजर हमारा बोया विज्ञान है साधनो से भरा संसार है फिर ये कैसा वार है ना तलवार है ना भाल कतार चलता फिरता हवा फिर भी आॅक्सीजन समाधान है रोते बिलखते परिजन कोइ नही उपचार है वार बरी आसान है सब पर भारी इसका प्रहार है नाम भी इसका "को-रोना" 'को' से कोइ नही सबको यहाॅ है रोना ©Jyoti Gupta"

 ना आंखे रोती है
ना जुबा लड़खराती है
उम्र सब के पास है
जवानी अभी भी बाकी है
फिर ये कैसा मंजर
जो किया हम सबको जरजर
हमारा बोया विज्ञान है
साधनो से भरा संसार है
फिर ये कैसा वार है
ना तलवार है ना भाल कतार
चलता फिरता हवा
फिर भी आॅक्सीजन समाधान है
रोते बिलखते परिजन
कोइ नही उपचार है
वार बरी आसान है
सब पर भारी इसका प्रहार है
नाम भी इसका "को-रोना"
'को' से कोइ नही
 सबको यहाॅ है रोना

©Jyoti Gupta

ना आंखे रोती है ना जुबा लड़खराती है उम्र सब के पास है जवानी अभी भी बाकी है फिर ये कैसा मंजर जो किया हम सबको जरजर हमारा बोया विज्ञान है साधनो से भरा संसार है फिर ये कैसा वार है ना तलवार है ना भाल कतार चलता फिरता हवा फिर भी आॅक्सीजन समाधान है रोते बिलखते परिजन कोइ नही उपचार है वार बरी आसान है सब पर भारी इसका प्रहार है नाम भी इसका "को-रोना" 'को' से कोइ नही सबको यहाॅ है रोना ©Jyoti Gupta

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