ये कैसा धर्म,ये कैसी अरदास है। कैसी इबादत कैसी पूज | हिंदी Shayari

"ये कैसा धर्म,ये कैसी अरदास है। कैसी इबादत कैसी पूजा पाठ हैं।। तरस नहीं आता किसी को पीट पीट कर मार देना, अरे ठीक है कुछ भ्रम होगा, कुछ शंका से भरा होगा, वो भी तो उस मालिक का बन्दा था,उसको बताया होता, अपनी इबादत का मर्म समझाया होता। पर तुम तो धर्म कुछ मानते नहीं, भीड़ में थे ना किसी का दर्द😢 पीड़ा जानते नहीं। अरे जब तुम जीवन दे नहीं सकते, तो जीवन लेना का हक किसने दिया। अगर ये तुम्हारा ईश्वर कहता हैं , तो माफ करना मै उस ईश्वर को मानता नहीं।।🙏 ©Dr.Dharmendra sharma"

 ये कैसा धर्म,ये कैसी अरदास है।
कैसी इबादत कैसी पूजा पाठ हैं।।
तरस नहीं आता किसी को पीट पीट कर मार देना,
अरे ठीक है कुछ भ्रम होगा, कुछ शंका से भरा होगा,
वो भी तो उस मालिक का बन्दा था,उसको बताया होता,
अपनी इबादत का मर्म समझाया होता।
पर तुम तो धर्म कुछ मानते नहीं,
भीड़ में थे ना किसी का दर्द😢 पीड़ा जानते नहीं।
अरे जब तुम जीवन दे नहीं सकते,
तो जीवन लेना का हक किसने दिया।
अगर ये तुम्हारा ईश्वर कहता हैं ,
तो माफ करना मै उस ईश्वर को मानता नहीं।।🙏

©Dr.Dharmendra sharma

ये कैसा धर्म,ये कैसी अरदास है। कैसी इबादत कैसी पूजा पाठ हैं।। तरस नहीं आता किसी को पीट पीट कर मार देना, अरे ठीक है कुछ भ्रम होगा, कुछ शंका से भरा होगा, वो भी तो उस मालिक का बन्दा था,उसको बताया होता, अपनी इबादत का मर्म समझाया होता। पर तुम तो धर्म कुछ मानते नहीं, भीड़ में थे ना किसी का दर्द😢 पीड़ा जानते नहीं। अरे जब तुम जीवन दे नहीं सकते, तो जीवन लेना का हक किसने दिया। अगर ये तुम्हारा ईश्वर कहता हैं , तो माफ करना मै उस ईश्वर को मानता नहीं।।🙏 ©Dr.Dharmendra sharma

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