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"White ये काली राते जब छा जाती हैं...मेरी बेचैनी बढ़ती क्यों जाती हैं..... तेरी बेरुखी अब बरदाश से बाहर है... तेरे बिना जीना भी तो बेहाल है.......! ©Dil de jazbaat "
White ये काली राते जब छा जाती हैं...मेरी बेचैनी बढ़ती क्यों जाती हैं..... तेरी बेरुखी अब बरदाश से बाहर है... तेरे बिना जीना भी तो बेहाल है.......! ©Dil de jazbaat
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