अब ये जग रास न आये..
अपने हृदय से लगा लो ना..
दरस को तरसे नैन ओ कान्हा,
एकबार वृंदावन बुला लो ना..
निहारूँ अपलक तुम्हें,
झलक से जन्मोजन्म तर जाऊंगी..
तेरी मोहिनी सूरत के दर्शन पाकर ,
मै तो राधे-राधे गाऊँगी..
मन में तुम्हें रमा लिया बिहारी,
अपने चरणों में जगह दो ना,
तेरी लीलाएं मुझे रिझायें,
एकबार वृंदावन बुला लो ना..
©Chanchal's poetry
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