परेशान हूँ बहुत
काश कोई तो संभाल ले
रोया हूँ अक्सर अकेले अकेले
कोई तो सीने से लगा चुप करा ले
मारा हूँ नफ़रत ने
इक बार कोई मोहब्बत से अपना ले
बिखरा हुआ
कि कोई अपनी बाहों में समेट मुझे सुकून से सुला ले
नहीं बोलता कुछ भी चुप चुप रहकर थक सा गया
काश कोई मेरी बातों के अल्फ़ाज कहलवा ले
थम सी गई हैं सांसें अंधेरे के डर में
उजाले की किरण से कोई कोई जिंदा बना ले
हम जो खो गये थे तन्हा गुमनाम से
काश कोई तो फिर से मुझे मेरे नाम से बुला ले
©writer....Nishu...
#कोई तो