मेरे महबूब ने तारो की छावो में मुझे बुलाया मिटाकर | हिंदी शायरी

"मेरे महबूब ने तारो की छावो में मुझे बुलाया मिटाकर अपनी खुशी मेरे आंसुओ को अपने हाथो में सजाया छुआ जब उसने मेरे जिस्म को खुदा कसम उसे उस हालत में देखकर मै अपने आंसुओ को रोक नहीं पाया कयामत आ गई जब उसने कहा ये प्रणाम है मेरे प्यार का मेरे हाथ पैर सब कांपने लगे जब देखा इस कदर इश्क मेरे यार का ..... अमित माहला ©Dil_k_jajbat05(Amit Mahla)"

 मेरे महबूब ने तारो की छावो  में मुझे बुलाया
मिटाकर अपनी खुशी
 मेरे आंसुओ को अपने हाथो में सजाया
छुआ जब उसने मेरे जिस्म को 
खुदा कसम उसे उस हालत में देखकर
मै अपने आंसुओ को रोक नहीं पाया

कयामत आ गई 
जब उसने कहा ये प्रणाम है मेरे प्यार का 
मेरे हाथ  पैर सब कांपने लगे
जब देखा इस कदर इश्क मेरे यार का .....
अमित माहला

©Dil_k_jajbat05(Amit Mahla)

मेरे महबूब ने तारो की छावो में मुझे बुलाया मिटाकर अपनी खुशी मेरे आंसुओ को अपने हाथो में सजाया छुआ जब उसने मेरे जिस्म को खुदा कसम उसे उस हालत में देखकर मै अपने आंसुओ को रोक नहीं पाया कयामत आ गई जब उसने कहा ये प्रणाम है मेरे प्यार का मेरे हाथ पैर सब कांपने लगे जब देखा इस कदर इश्क मेरे यार का ..... अमित माहला ©Dil_k_jajbat05(Amit Mahla)

#BengalBurning

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