शर्दी की मौसम में, तुम गरम हवा बनकर आवो, भरलो मुझे | हिंदी કવિતા

"शर्दी की मौसम में, तुम गरम हवा बनकर आवो, भरलो मुझे अपने बहुपास मैं, महसूस कर ने दो तुम्हारी गर्म सांसों को, छू लेने दो पश्मीना जैसे होठों को, बेरंग सी बनी जिंदगी में रंग भर दो ना,"

 शर्दी की मौसम में,
तुम गरम हवा बनकर आवो,
भरलो मुझे अपने बहुपास मैं,
महसूस कर ने दो तुम्हारी गर्म सांसों को,
छू लेने दो पश्मीना जैसे होठों को,
बेरंग सी बनी जिंदगी में रंग भर दो ना,

शर्दी की मौसम में, तुम गरम हवा बनकर आवो, भरलो मुझे अपने बहुपास मैं, महसूस कर ने दो तुम्हारी गर्म सांसों को, छू लेने दो पश्मीना जैसे होठों को, बेरंग सी बनी जिंदगी में रंग भर दो ना,

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