हमारे मन में मचलते, खौलते हुए सवालों को
दुनियां के कुप्रथाओं ,दकियानूसी बेड़ियों को
जब कभी हम से वो हज़म नहीं हो पाता है
तब वो लेखनी बन कर फैलता है, कोरे पन्ने पर
जिसे किसी से ना कहने की कोई विवशता ,ना कोई ज़रूरत
और ना ही अब चुप रहने की कोई मानसिक पीड़ा
दोनों ही एक साथ समाप्त सा हो जाता हैं, और
तब मन शांत होकर अजीब सा सुकूं पा जाता हैं
©Sadhna Sarkar
#ankahe_jazbat
बस यूं ही विचारों का ताना बाना 💫💫