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आँखों में ख़्वाहिशों के सितारे लिए!
क्या-क्या सोचा था मैंने हमारे लिए!
ए सितमगर! नहीं छोड़ी तुमने कसर,
रो रही हूँ क्यों फ़िर भी तुम्हारे लिए?
तुमको सारे ज़माने ने जो ग़म दिए,
उनके बदले मुझ ही से क्यों सारे लिए?
न ही कन्धे, न मय, न धुआँ, न दवा,
सह गई सब, बिना कुछ सहारे लिए!
तुमने तोड़ा भरोसे को क्यों इस कदर?
फैसले दिल ने कुछ, डर के मारे लिए!
"भावना" की तो पहचान आसान है,
हँस रही आँखों में अश्क़ खारे लिए!
~ भावना आरोही
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©Nilam Agarwalla
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