कि, पर्वत चिर नदियों को बहना होगा, परिंदों की तरह | हिंदी Shayari

"कि, पर्वत चिर नदियों को बहना होगा, परिंदों की तरह आसमान चिरना होगा कि, धरती की तपिश क्या तुम्हें मालूम नहीं? रे मेघ, घनघोर घटा बन तुम्हें बरसना होगा! __प्रेम__निराला__ ©Prem Nirala"

 कि, पर्वत चिर नदियों को बहना होगा,
परिंदों की तरह आसमान चिरना होगा

कि, धरती की तपिश क्या तुम्हें मालूम नहीं?
रे मेघ, घनघोर घटा बन तुम्हें बरसना होगा!

__प्रेम__निराला__

©Prem Nirala

कि, पर्वत चिर नदियों को बहना होगा, परिंदों की तरह आसमान चिरना होगा कि, धरती की तपिश क्या तुम्हें मालूम नहीं? रे मेघ, घनघोर घटा बन तुम्हें बरसना होगा! __प्रेम__निराला__ ©Prem Nirala

कि, पर्वत चिर नदियों को बहना होगा,
परिंदों की तरह आसमान चिरना होगा

कि, धरती की तपिश क्या तुम्हें मालूम नहीं?
रे मेघ, घनघोर घटा बन तुम्हें बरसना होगा!

__प्रेम__निराला__

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