हिय तट पर नित संस्कार जगाती सद्भावना हिंदी है, पाव | हिंदी कविता

"हिय तट पर नित संस्कार जगाती सद्भावना हिंदी है, पावन विचार मन पर उतारती नव यौवना हिंदी है, नहीं विचरती राष्ट्र-द्रोह में यह गंगा जैसी पावन है, निर्मल राष्ट्र करे जो निर्मित वह शुद्ध धावना हिंदी है। चारण गोविन्द"

 हिय तट पर नित संस्कार जगाती सद्भावना हिंदी है,
पावन विचार मन पर उतारती नव यौवना हिंदी है,
नहीं विचरती राष्ट्र-द्रोह में यह गंगा जैसी पावन है,
निर्मल राष्ट्र करे जो निर्मित वह शुद्ध धावना हिंदी है।
                                                              
 चारण गोविन्द

हिय तट पर नित संस्कार जगाती सद्भावना हिंदी है, पावन विचार मन पर उतारती नव यौवना हिंदी है, नहीं विचरती राष्ट्र-द्रोह में यह गंगा जैसी पावन है, निर्मल राष्ट्र करे जो निर्मित वह शुद्ध धावना हिंदी है। चारण गोविन्द

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