कुण्डलिया :-
करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम ।
उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।।
माया हरि का नाम , वही है पालन हारे ।
भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।।
चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते ।
छोडो ये पाखंड , क्षमा वह अवगुण करते ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :-
करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम ।
उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।।
माया हरि का नाम , वही है पालन हारे ।
भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।।
चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते ।
छोडो ये पाखंड , क्षमा वह अवगुण करते ।।