कुण्डलिया :- करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम | हिंदी कविता

"कुण्डलिया :- करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम । उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।। माया हरि का नाम , वही है पालन हारे । भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।। चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते । छोडो ये पाखंड ,  क्षमा वह अवगुण करते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 कुण्डलिया :-

करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम ।
उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।।
माया हरि का नाम , वही है पालन हारे ।
भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।।
चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते ।
छोडो ये पाखंड ,  क्षमा वह अवगुण करते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम । उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।। माया हरि का नाम , वही है पालन हारे । भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।। चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते । छोडो ये पाखंड ,  क्षमा वह अवगुण करते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :-

करते हैं पाखंड जो , लेके हरि का नाम ।
उन्हें बताये कौन अब , माया हरि का नाम ।।
माया हरि का नाम , वही है पालन हारे ।
भक्तों को भव पार , सदा वे पार उतारे ।।
चक्षु हृदय के खोल , शरण तुम उनकी तरते ।
छोडो ये पाखंड ,  क्षमा वह अवगुण करते ।।

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