हैं उपकार तेरे जग पर अनेक,
तू जननी, तू बुध्दि विवेक,
बिन तेरे न भूतो न भवति,
बिन तेरे ये सृष्टि न सजती ।
नारी का रिश्ता, तुला हर कसौटी
कभी सास बहु, वो माँ बहन बेटी,
न कमजोर है, न तू अबला है नारी,
हर रिश्ते मे तूने बाजी है मारी।
नारी है जननी, मारक है नारी।
©Senty Poet
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