मेरी ग़ज़लों में वस्ल का लम्हा गुनगुनाता
जो तुम मिल जाते तो शब्द शब्द मुस्कुराता !
ज़िस्म कलियों का छूकर हवा का झोंका
मदमस्त हो इधर उधर लहराता इतराता !
चाँदनी के झीने आँचल में छुपा वो चाँद
जो तुम मिल जाते तो चाँद निकल आता !
©malay_28
#जो तुम मिल जाते तो....