कुछ इश्क़ था वो....
पहेली बार नज़रे उठी उसकी तरफ तो नब्ज थोड़ी कम होगी
रहे मोहब्त का अंज़ाम तो पता था पर बेसुद्गी मे ये धड़कन थोड़ी नम होगी
तुम मेरे इश्क़ मे डूब जाओ गे ये हम जानते थे
पर तैरना हमे भी नहीं आता इस बात से अंजान थे
तुम जितना डूबे इश्क़ मे उसे ज्यादा हम दुबे थे
बेसक इश्क़ नहीं था मुझे पर तेरा ख्याल था
किसी की डूबती कस्ती को पार लगने का ख्याल था
पर पता नहीं था नदी हमारी कस्ती हमारी मुसाफ़िर न कोई अंजान था
पर कस्ती एसी उलझी दिले मझधार मे की मोहब्त नाम से अब नाराज़गी होगी...
~heartbeatt...
perfect day... #Nojotovoice