White यादगार की वारिस कव आयोगि तुम्
आज भि में तुझे तरस रहि हुं।
घड घड कर के विजलि करके
टिप् टिप् करके बरस जा अव तु
झर झर के झरना पि सबर जा।
पृथ्वी अव तुझे तरस रही है
बावुल् कि आंगन में अव तरस जा
गुंज गुंजती हवा वोले में किधर चलुं तेरे विन्
मैं भि तेरि सवारि पे दिदार।
झरना ओर पर्वत वोलें मे भि तेरा साथि
तु भि मुझसे दिल् लगाजा
वारिस वोले तरसना तेरा काम है भाई
अव तु उठ जा जाग् झ तेरे विन्
उठ जा जाग जा तेरे विन्।
©Niranjan Mahapatra
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