White हर कोई क़ुसूरवार था...
हर कोई कुसूरवार था मेरी बर्बादी का,
मैं तो नादान था हालात ही मेरे कुछ ऐसे थे!
उस रब पे यक़ीन कर बेपरवाह जीता रहा,
मगर उसने ही साथ छोड़ दिया ज़लील होने को!
क्या क़ुसूर था मेरा जों आज बिलख रहा हूँ,
बिना उम्मीद लाश जैसा जिए जा रहा हूँ!
क़ैद जिश्म मेँ रूह मेरी तड़प रही हैँ आज़ादी के लिए,
जाने मौत अपनी आघोष कब मुझें ले जाएगी!
Written By-ABi Aman.
©Poetry-Meri Diary Se
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