सिमट जाती है जो रेती वहीँ चट्टान बनती है। श्रद्धा | हिंदी Poetry Video

सिमट जाती है जो रेती वहीँ चट्टान बनती है।
श्रद्धा भक्ति की ही लौट के वरदान बनती है।
भले वृक्ष छोड़ के विश्वास का कान्हा चला जाए ।


"लेकिन लगन की राधिका बनकर स्वयंम भगवान बनतीं है।"

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