कितना झुकू तेरी चाहत में, ए - राइज़ी कोई

"कितना झुकू तेरी चाहत में, ए - राइज़ी कोई हद तो बता दो! शर्मिंदा होता हूं रोज तेरी महफिल में, हजूर मेरा कसूर तो बता दो, मजबूर है आपकी चाहत में, चलो मजबूरी का मजाक बना लो, जनाब कदर हमारी भी अच्छी होती है इस शहर में, अरे कोई जाकर उन बड़े लोगों को बता दो!! @a_broken_pen . ©Raizee"

 कितना झुकू तेरी चाहत में,
          ए - राइज़ी कोई हद तो बता दो!
शर्मिंदा होता हूं रोज तेरी महफिल में,
              हजूर मेरा कसूर तो बता दो,
मजबूर है आपकी  चाहत में,
       चलो मजबूरी का मजाक बना लो,
जनाब कदर हमारी भी अच्छी
               होती  है इस शहर में,
अरे कोई जाकर उन बड़े लोगों को बता दो!!
@a_broken_pen








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©Raizee

कितना झुकू तेरी चाहत में, ए - राइज़ी कोई हद तो बता दो! शर्मिंदा होता हूं रोज तेरी महफिल में, हजूर मेरा कसूर तो बता दो, मजबूर है आपकी चाहत में, चलो मजबूरी का मजाक बना लो, जनाब कदर हमारी भी अच्छी होती है इस शहर में, अरे कोई जाकर उन बड़े लोगों को बता दो!! @a_broken_pen . ©Raizee

❤️❤️❤️ Bata do

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