White कैसे हो? कुछ बुरा तो नहीं लगा? क्यूं बैठे हो | हिंदी Poetry

"White कैसे हो? कुछ बुरा तो नहीं लगा? क्यूं बैठे हो बुझे से? सुनने में ये बहुत ही साधारण से वाक्य हैं पर प्रेम में जब सर्वस्व सौंप देने पर कोई ये प्रश्न करता है तो हृदय को अच्छा लगता है, हृदय स्वस्थ रहता है मेरे विचार तुम नहीं समझते, मेरी सुध तुम नहीं लेते, मैं मैं मैं...... सिर्फ मैं, शायद ये प्रेम अभी परिपक्व नहीं है ये सिर्फ नियत पर, सत्य पर चोट करता है, अविश्वास रखता है, अघात देता है, मैं प्रयास कर रहा हूं तुम्हे समझने का, तुम्हारे विचार समझने का। मुझे स्वयं के प्रेम पर कोई संदेह नहीं है, मुझे घमंड है अपने प्रेम पर मैं पूरा प्रयास करूंगा की तुमको अपना हृदय दिखा पाऊं जितना भी हो सके, सम्हाल लूं, साथ रह पाऊं तुम जो छोटी छोटी क्रियाएं करते हो मुझे चोट देने के लिए उसे नजरंदाज कर पाऊं। एक बात समझ लेना मेरी भी तो हदें होगी। ऐसा ना हो की इस बार मै गया तो लौट ही ना पाऊं। ©mautila registan(Naveen Pandey)"

 White कैसे हो? कुछ बुरा तो नहीं लगा? क्यूं बैठे हो बुझे से?
सुनने में ये बहुत ही साधारण से वाक्य हैं 
पर प्रेम में जब सर्वस्व सौंप देने पर कोई ये प्रश्न करता है 
तो हृदय को अच्छा लगता है, हृदय स्वस्थ रहता है 

मेरे विचार तुम नहीं समझते, मेरी सुध तुम नहीं लेते,
मैं मैं मैं...... सिर्फ मैं, शायद ये प्रेम अभी परिपक्व नहीं है 
ये सिर्फ नियत पर, सत्य पर चोट करता है,
अविश्वास रखता है, अघात देता है,
मैं प्रयास कर रहा हूं तुम्हे समझने का,
तुम्हारे विचार समझने का।

मुझे स्वयं के प्रेम पर कोई संदेह नहीं है,
मुझे घमंड है अपने प्रेम पर 
मैं पूरा प्रयास करूंगा की तुमको अपना हृदय दिखा पाऊं 
जितना भी हो सके, सम्हाल लूं, साथ रह पाऊं 
तुम जो छोटी छोटी क्रियाएं करते हो मुझे चोट देने के लिए उसे नजरंदाज कर पाऊं।
एक बात समझ लेना मेरी भी तो हदें होगी।
ऐसा ना हो की इस बार मै गया तो लौट ही ना पाऊं।

©mautila registan(Naveen Pandey)

White कैसे हो? कुछ बुरा तो नहीं लगा? क्यूं बैठे हो बुझे से? सुनने में ये बहुत ही साधारण से वाक्य हैं पर प्रेम में जब सर्वस्व सौंप देने पर कोई ये प्रश्न करता है तो हृदय को अच्छा लगता है, हृदय स्वस्थ रहता है मेरे विचार तुम नहीं समझते, मेरी सुध तुम नहीं लेते, मैं मैं मैं...... सिर्फ मैं, शायद ये प्रेम अभी परिपक्व नहीं है ये सिर्फ नियत पर, सत्य पर चोट करता है, अविश्वास रखता है, अघात देता है, मैं प्रयास कर रहा हूं तुम्हे समझने का, तुम्हारे विचार समझने का। मुझे स्वयं के प्रेम पर कोई संदेह नहीं है, मुझे घमंड है अपने प्रेम पर मैं पूरा प्रयास करूंगा की तुमको अपना हृदय दिखा पाऊं जितना भी हो सके, सम्हाल लूं, साथ रह पाऊं तुम जो छोटी छोटी क्रियाएं करते हो मुझे चोट देने के लिए उसे नजरंदाज कर पाऊं। एक बात समझ लेना मेरी भी तो हदें होगी। ऐसा ना हो की इस बार मै गया तो लौट ही ना पाऊं। ©mautila registan(Naveen Pandey)

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