कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में पुरकार क्यों | हिंदी शायरी

"कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में पुरकार क्यों हो तुम पुरकार क्यों हूँ मैं..... ©Anuj Subrat"

 कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में
पुरकार क्यों हो तुम पुरकार क्यों हूँ मैं.....

©Anuj Subrat

कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में पुरकार क्यों हो तुम पुरकार क्यों हूँ मैं..... ©Anuj Subrat

कितने पाकीज़ा थे हम इब्तिदा-ए-इश्क़ में.....~©अनुज सुब्रत

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