मुझसे कुछ क़दम आगे खड़ी है मंज़िल मेरी, और मैं हूं | हिंदी शायरी

"मुझसे कुछ क़दम आगे खड़ी है मंज़िल मेरी, और मैं हूं जिससे एक क़दम भी आगे की तरफ़ नहीं उठ रहा ©Umme Habiba"

 मुझसे कुछ क़दम आगे खड़ी है मंज़िल मेरी,
और मैं हूं जिससे एक क़दम भी आगे की तरफ़ नहीं उठ रहा

©Umme Habiba

मुझसे कुछ क़दम आगे खड़ी है मंज़िल मेरी, और मैं हूं जिससे एक क़दम भी आगे की तरफ़ नहीं उठ रहा ©Umme Habiba

#hillroad दो लफ्ज़

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