लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं इतना

"लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं मय-कदा ज़र्फ़ के मेआ'र का पैमाना है ख़ाली शीशों की तरह लोग उछलते क्यूँ हैं मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ रौशनी वाले मिरे नाम से जलते क्यूँ हैं"

 लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं 

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं 

मय-कदा ज़र्फ़ के मेआ'र का पैमाना है 

ख़ाली शीशों की तरह लोग उछलते क्यूँ हैं 

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए 

और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं 

नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से 

ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं 

मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ 

रौशनी वाले मिरे नाम से जलते क्यूँ हैं

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं मय-कदा ज़र्फ़ के मेआ'र का पैमाना है ख़ाली शीशों की तरह लोग उछलते क्यूँ हैं मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ रौशनी वाले मिरे नाम से जलते क्यूँ हैं

#RIPRahatIndori

People who shared love close

More like this

Trending Topic