मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!
©SHI.V.A 369
#मन की व्यथा..!!
#कविता मन की