ग़ज़ल  गिरा कौन कितना बताना बहुत है । ये उँगली उन्हे | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल  गिरा कौन कितना बताना बहुत है । ये उँगली उन्हें भी दिखाना बहुत है ।। जो रूठे हैं उनको मनाना बहुत है ।। गरीबों को सारे हँसाना बहुत है ।। ये जादू कलम का दया शारदे की । चलाकर इसे अब दिखाना बहुत है ।। निभाना नहीं हो जिन्हें यार रिश्ते । दिखा पास उनके बहाना बहुत है ।। जरा पास ठहरो हमारे अभी तुम । अभी यार तुमको सुनाना बहुत है ।। तू रोना नहीं सामने अब किसी के । अभी दर खुदा के ठिकाना बहुत है ।। पता तो करो रूठी क्यों आज राधा । कन्हैया को उनको मनाना बहुत है ।। बचे हैं अधूरे बहुत काम तेरे । प्रखर कल तुम्हें दूर जाना बहुत है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल 
गिरा कौन कितना बताना बहुत है ।
ये उँगली उन्हें भी दिखाना बहुत है ।।

जो रूठे हैं उनको मनाना बहुत है ।।
गरीबों को सारे हँसाना बहुत है ।।

ये जादू कलम का दया शारदे की ।
चलाकर इसे अब दिखाना बहुत है ।।

निभाना नहीं हो जिन्हें यार रिश्ते ।
दिखा पास उनके बहाना बहुत है ।।

जरा पास ठहरो हमारे अभी तुम ।
अभी यार तुमको सुनाना बहुत है ।।

तू रोना नहीं सामने अब किसी के ।
अभी दर खुदा के ठिकाना बहुत है ।।

पता तो करो रूठी क्यों आज राधा ।
कन्हैया को उनको मनाना बहुत है ।।

बचे हैं अधूरे बहुत काम तेरे ।
प्रखर कल तुम्हें दूर जाना बहुत है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल  गिरा कौन कितना बताना बहुत है । ये उँगली उन्हें भी दिखाना बहुत है ।। जो रूठे हैं उनको मनाना बहुत है ।। गरीबों को सारे हँसाना बहुत है ।। ये जादू कलम का दया शारदे की । चलाकर इसे अब दिखाना बहुत है ।। निभाना नहीं हो जिन्हें यार रिश्ते । दिखा पास उनके बहाना बहुत है ।। जरा पास ठहरो हमारे अभी तुम । अभी यार तुमको सुनाना बहुत है ।। तू रोना नहीं सामने अब किसी के । अभी दर खुदा के ठिकाना बहुत है ।। पता तो करो रूठी क्यों आज राधा । कन्हैया को उनको मनाना बहुत है ।। बचे हैं अधूरे बहुत काम तेरे । प्रखर कल तुम्हें दूर जाना बहुत है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल 
गिरा कौन कितना बताना बहुत है ।
ये उँगली उन्हें भी दिखाना बहुत है ।।

जो रूठे हैं उनको मनाना बहुत है ।।
गरीबों को सारे हँसाना बहुत है ।।

ये जादू कलम का दया शारदे की ।

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