White यादें चली गई हिचकियां बाकी है
सूख गए अश्क, सिसकियां बाकी हैं।
खाली —खाली सा है मंजर सारा
खाक हुए लोग, बस्तियां बाकी है।
किनारे —किनारे बशर होगी जिंदगी,
मांझी डूब गए , कश्तियां बाकी हैं।
हो ग्यारह कैद ए इश्क से ,मगर पैरो में
बेडिया बाकी हैं।
कोई सुनता नहीं मुराद तेरी
अभी पेड़ से खुलनी डोरियां बाकी हैं।।
©Umrav Jat
#milan_night # इश्क में फना