عزم کو لاؤ چلو تول کے دیکھا جاے
سچ کو اک بار سہی بول کے دیکھا جاے
لوٹنے آتے ہیں ہاتھوں سے مقددر کتنے
کچھ پتنگوں کی طرح ڈول کے دیکھا جاے
مرحم دل کے ملیں گے یوں فسانے کتنے
ذرد پننوں کو زرا کھول کے دیکھا جاے
نفرتیں اشق زہر خار تنازع ماضی
عشق فطرت میں زرا گھول کے دیکھا جاے
شاہ ممکن ہے زمانے میں ازالہ اس سے
فال دل کا چلو کھول کے دیکھا جاے
अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए
सच को इक बार सही बोल के देखा जाए
लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने
कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए
मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने
ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए
नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़
इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए
शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से
फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी
©shah arghan
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