White रचना दिनांक १७,,,५,,,,२०२४ वार ््््शुक्रवार | हिंदी विचार

"White रचना दिनांक १७,,,५,,,,२०२४ वार ््््शुक्रवार समय,,,सुबह दस बजे ््््निजविचार ्््् आपके सदविचार प्रेरणादायक उद्धरण से जन्मा है मेरा जन्म दिवस की शुरुआत और शुभकामना संदेश से शुभचिंतक सज्जन के अमिट प्रेम शब्द ही महासागर है जो धरती पुत्र कर्मवीर मानस शैलेंद्र आनंद आपका कृतज्ञ हूं मैं जिंदगी में जीवन फूलों से अच्छादित छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ पर जिंदगी लाजवाब है ््् नगर में हों या निश्छल पहला प्यार लिखूं प्रेम शब्द से ही आनंद है बधाई ❤️❤️❤️ में एक स्वर में प्रेम गान प्यार करने वाले अच्छे लगते है ।। माना कि तू क्या जाने इतिहास बेचारा क्या है माजरा सत सत में एक बार फिर मिलेंगे दूआओ से साक्षात्कार करवाता है,, अपने आपसे पूछो मैं क्या करूं और क्या हूं खुद से खूद खडा सवाल संवाद करना ही जिंदगी की बड़ी चुनौती है ।। आज चेहरे पर जिंदगी के कर्तव्यों और दायित्वों से अपनी भय और चिंता खोफ से अपनी रूह मे खो कर देख रहा था वक्त और हालात के दौर में विविध रूप में जीवित प्राणतत्व से अपनी रूह मे खो कर डुब गई मेरी पहचान और साथ ही जिंदगी को बेहतर बनाने से पहले इन्सान को इन्सान समझना जरूरी है आज मैं आपको बता दूं कि मेरी स्वरचित रचनाएं अब भी आत्म मंथन और अपने विचार सपनो को साकार स्पष्ट रूप से एक जीवंत कलाकृति होती है।।। हम खोज वैचारिक मतभेद प्रतिबद्धता प्रखरता से उभरकर आई वैचारिक क़ांन्ति के मनोवेग तत्वरित करने से,, जन्मा विचार सच है जो तात्कालिक नहीं दीर्घकालिक होती है।। यही स्वरूप है शिवतत्व में आनंद बोध है शैलेंद्र आनंद का,, यही शुभकामना संदेश है ््््््निजविचार में एक जीवंत हो प्यारा सा जीवन में एक बार फिर मिलेंगे दूआओ मैं याद रखना जरूरी है।। ्््निजधिचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद १७,,,५,,,,२०२४,,, अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा से भय खोफ में ©Shailendra Anand"

 White रचना दिनांक १७,,,५,,,,२०२४
वार ््््शुक्रवार

समय,,,सुबह दस बजे
््््निजविचार ््््
आपके सदविचार प्रेरणादायक उद्धरण से जन्मा है
 मेरा जन्म दिवस की शुरुआत और शुभकामना संदेश से
 शुभचिंतक सज्जन के अमिट प्रेम शब्द ही महासागर है 
जो धरती पुत्र कर्मवीर मानस शैलेंद्र आनंद आपका कृतज्ञ हूं 
मैं जिंदगी में जीवन फूलों से अच्छादित छाया चित्र में
 भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ पर जिंदगी लाजवाब है ्््


नगर में हों या निश्छल पहला प्यार लिखूं
 प्रेम शब्द से ही आनंद है बधाई ❤️❤️❤️ में एक स्वर में 
प्रेम गान प्यार करने वाले अच्छे लगते है ।।
माना कि तू क्या जाने इतिहास बेचारा क्या है
माजरा सत सत में एक बार फिर मिलेंगे दूआओ से साक्षात्कार करवाता है,,
अपने आपसे पूछो मैं क्या करूं और क्या हूं
 खुद से खूद खडा सवाल संवाद करना ही जिंदगी की बड़ी चुनौती है ।।
आज चेहरे पर जिंदगी के कर्तव्यों और दायित्वों से अपनी
भय और चिंता खोफ से अपनी रूह मे खो कर देख रहा था
 वक्त और हालात के दौर में विविध रूप में जीवित प्राणतत्व से
 अपनी रूह मे खो कर डुब गई मेरी पहचान 
और साथ ही जिंदगी को बेहतर बनाने से
 पहले इन्सान को इन्सान समझना जरूरी है
आज मैं आपको बता दूं कि मेरी स्वरचित रचनाएं अब भी
आत्म मंथन और अपने विचार सपनो को
 साकार स्पष्ट रूप से एक जीवंत कलाकृति होती है।।।
हम खोज वैचारिक मतभेद प्रतिबद्धता प्रखरता से उभरकर आई
 वैचारिक क़ांन्ति के मनोवेग तत्वरित करने से,,
 जन्मा विचार सच है जो तात्कालिक नहीं दीर्घकालिक होती है।।
यही स्वरूप है शिवतत्व में आनंद बोध है शैलेंद्र आनंद का,,
यही शुभकामना संदेश है ््््््निजविचार में
 एक जीवंत हो प्यारा सा जीवन में
 एक बार फिर मिलेंगे दूआओ मैं याद रखना जरूरी है।।
्््निजधिचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
१७,,,५,,,,२०२४,,,



 अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा से भय खोफ में

©Shailendra Anand

White रचना दिनांक १७,,,५,,,,२०२४ वार ््््शुक्रवार समय,,,सुबह दस बजे ््््निजविचार ्््् आपके सदविचार प्रेरणादायक उद्धरण से जन्मा है मेरा जन्म दिवस की शुरुआत और शुभकामना संदेश से शुभचिंतक सज्जन के अमिट प्रेम शब्द ही महासागर है जो धरती पुत्र कर्मवीर मानस शैलेंद्र आनंद आपका कृतज्ञ हूं मैं जिंदगी में जीवन फूलों से अच्छादित छाया चित्र में भावचित्र खिंचती मुखपृष्ठ पर जिंदगी लाजवाब है ््् नगर में हों या निश्छल पहला प्यार लिखूं प्रेम शब्द से ही आनंद है बधाई ❤️❤️❤️ में एक स्वर में प्रेम गान प्यार करने वाले अच्छे लगते है ।। माना कि तू क्या जाने इतिहास बेचारा क्या है माजरा सत सत में एक बार फिर मिलेंगे दूआओ से साक्षात्कार करवाता है,, अपने आपसे पूछो मैं क्या करूं और क्या हूं खुद से खूद खडा सवाल संवाद करना ही जिंदगी की बड़ी चुनौती है ।। आज चेहरे पर जिंदगी के कर्तव्यों और दायित्वों से अपनी भय और चिंता खोफ से अपनी रूह मे खो कर देख रहा था वक्त और हालात के दौर में विविध रूप में जीवित प्राणतत्व से अपनी रूह मे खो कर डुब गई मेरी पहचान और साथ ही जिंदगी को बेहतर बनाने से पहले इन्सान को इन्सान समझना जरूरी है आज मैं आपको बता दूं कि मेरी स्वरचित रचनाएं अब भी आत्म मंथन और अपने विचार सपनो को साकार स्पष्ट रूप से एक जीवंत कलाकृति होती है।।। हम खोज वैचारिक मतभेद प्रतिबद्धता प्रखरता से उभरकर आई वैचारिक क़ांन्ति के मनोवेग तत्वरित करने से,, जन्मा विचार सच है जो तात्कालिक नहीं दीर्घकालिक होती है।। यही स्वरूप है शिवतत्व में आनंद बोध है शैलेंद्र आनंद का,, यही शुभकामना संदेश है ््््््निजविचार में एक जीवंत हो प्यारा सा जीवन में एक बार फिर मिलेंगे दूआओ मैं याद रखना जरूरी है।। ्््निजधिचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद १७,,,५,,,,२०२४,,, अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा से भय खोफ में ©Shailendra Anand

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