आज के दौर में नि:स्वार्थ भाव से कोई नहीं जुड़ता । जब मुझे एहसास हुआ । कि मुझसे लोग स्वार्थ से जुड़ते हैं, तब दिल मेरा टूट गया ।
दूसरे पल ही दिल को उसी जोड़ लिया, यह सोचकर हम तो उसकी आशाओं की उम्मीद हैं।
९/१०/२०२३ , १२:२० अपराह्न
©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
#tootadil आशाओं की उम्मीद