रात के अँधेरों में, खुद को महफ़ूज़ समझता है, दिन क | हिंदी शायरी

"रात के अँधेरों में, खुद को महफ़ूज़ समझता है, दिन के उजालों में, वो, अक्सर कत्ल हुआ है!! Kavyansh_shubh"

 रात के अँधेरों में,
खुद को महफ़ूज़ समझता है,
दिन के उजालों में,
वो, अक्सर कत्ल हुआ है!!

Kavyansh_shubh

रात के अँधेरों में, खुद को महफ़ूज़ समझता है, दिन के उजालों में, वो, अक्सर कत्ल हुआ है!! Kavyansh_shubh

हर रात कुछ सुकून है!

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