उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, थमा भी दो दर्द जो दव | English Life

"उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, थमा भी दो दर्द जो दवा सा हैं| ये धूप भी हैं टहनियाँ भिगों रही, क्यों बारिशों में मन भी ये जला सा हैं|"

 उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, 
थमा भी दो दर्द जो दवा सा हैं| 
ये धूप भी हैं टहनियाँ भिगों रही,
क्यों बारिशों में मन भी ये जला सा हैं|

उठा भी लो बोझ जो हवा सा हैं, थमा भी दो दर्द जो दवा सा हैं| ये धूप भी हैं टहनियाँ भिगों रही, क्यों बारिशों में मन भी ये जला सा हैं|

)#Change #silentHour
#Nature

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